सोमवार, 29 जून 2020

अष्ट यक्षिणी शाबर-साधना – जिससे होंगे सांसारिक एवम् भौतिक सुखों की पूर्ण प्राप्ति।

दक्षिणापथ, डोंगरगढ़ (पंडित संजीव वशिष्ट)।शाबर मंत्र होने के कारण इस साधना में ध्यान-आदि की आवश्यकता नहीं है। अतः आप सहजता से इस साधना को कर सकते हैं।

कुछ आवश्यक बातें – ये यक्षिणियां अपने पुण्य के कारण शिव जी के चरणों में वास होता है। किन्तु, यह नहीं समझना चाहिए कि यह कोई सात्विक साधना है। यह एक राजसिक साधना है। – यह साधना 21 दिनों की है और संस्कारित सफ़ेद या क्रीम कलर की संस्कारित हकीक की माला से की जाती है। आप श्वेतार्क की माला से भी कर सकते हैं।

आईये , इन आठों यक्षिणियों के बारे कुछ जान लें –

1. सुर सुन्दरी यक्षिणी,

2. मनोहारिणी यक्षिणी,

3. कनकवती यक्षिणी,

4. कामेश्वरी यक्षिणी,

5. रतिप्रिया यक्षिणी,

6. पद्मिनी यक्षिणी,

7. नटी यक्षिणी,

8.अनुरागिणी यक्षिणी

सभी यक्षिणियों की अपनी-अपनी ख़ास विशेषता है। इनकी सिद्धि हो जाने पर फिर किसी यक्षिणी को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इनकी विशेषता आदि के बारे में जानने के लिए कुछ जानकारी दे रहा हूँ –

1-सुर सुन्दरी यक्षिणी- यह साधक को मित्र, पत्नी , प्रेमिका आदि के रूप में प्राप्त होता है अर्थात साधक किसी भी रूप में प्राप्त कर सकता है। इसकी सुंदरता का बखान नहीं किया जा सकता क्यों कि मर्यादा भंग हो सकता है।

2-मनोहारिणी यक्षिणी- यह सफ़ेद चन्दन की खुशबु लिए होती है। यह आपको सम्मोहिनी शक्ति प्रदान करती है -कोई भी स्त्री या पुरुष स्वतः आकर्षित हो जाती है। यह सभी प्रकार से अपने साधक को संतुष्ट रखती है। ज्यादा खुलकर बताई नहीं जा सकती।

3-कनकवती यक्षिणी-यह साधक को किसी भी क्षेत्र में सफलता दिलाती है। सभी कामनाएं पूर्ण कराती है।

4-कामेश्वरी यक्षिणी- यह सभी प्रकार की मनोरंजन कराती है। काम-सुख देती है। यह भी पुष्ट शरीर वाली अद्वितीय सुंदरी है को कामुकता लिए हुए होती है।

पर यह सब साधक की इच्छा पर निर्भर है।

5-रति प्रिया यक्षिणी- इसे स्वर्णदेहा कहा जाए तो उत्तम होगा। स्वर्ण आभूषणों से लदी हुई यह यक्षिणी की कुछ ख़ास अपनी विशेषता है। इसकी साधना से साधक/साधिका रति -कामदेव की तरह हो उठते हैं। अतः रोगमुक्त होकर साधक सुन्दर हो जाता है।

6-पदमिनी यक्षिणी.- यह साधक को उन्नति दिलाती है। संपन्न बनाती है। यह कुछ सांवली रंग की है।

किन्तु, बहुत ही सुनदर और आकर्षक। प्रत्येक अंग कोमलता से भरा हुआ।

7-नटी यक्षिणी.- यह साधक की सुरक्षा करती है। सौभाग्य बढ़ाती है।

8-अनुरागिणी यक्षिणी.- यह साधक को धन-दौलत प्रदान करती है। यह वैसा ही उपाय बताती है जिससे व्यक्ति शीघ्र संपन्न होने लगता है। जुए-सट्टे आदि में तीव्र विजय दिलाती है। उपरोक्त बातें संक्षिप्त में बताई गयी है। अन्य गुणों की चर्चा यक्षिणी साधना में बताई जा चुकी है।

शाबर मंत्र के महा-गुरु मच्छन्दरनाथ ने इन आठों यक्षिणियों की सिद्धि करने के लिए एक ही मंत्र में पिरोया है जिससे अलग-अलग साधना करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

मंत्र कुछ बड़ा अवश्य है पर जप-संख्या कम होने के कारण इस साधना को करने में कोई कठिनाई का—

अनुभव नहीं होता।

अष्ट-यक्षिणी शाबर मन्त्र -इस प्रकार है जिसे अच्छी तरह याद कर लें –

मंत्र की मात्रा 3 माला 21 दिन तक करना है और आठ कुंआरी लड़कियों को भोजन करा कर उन्हें संतुष्ट कराना है। भोजन स्वाति नक्षत्र में कराना अनिवार्य है।

कैसे करें इसकी साधना ?-

सर्वप्रथम उक्त मंत्र की दीक्षा लें। प्रत्यक्ष दीक्षा आप किसी साधना शिविर में आकर ले सकते हैं।

साधना दीक्षा दी जाएगी,उसके बाद पूर्व दिशा मुख करके जप करना है किसी शुभ मुहूर्त से अगर शुभ मुहूर्त किसी शुक्रवार को पड़े तो बहुत अच्छा है।
किसी ग्रहण,होली,दीपावली की रात्रि भी अच्छी रहेगी।

बिना दीक्षा के साधना न करें -आपका समय बेकार जा सकता है।

साधना का समय – रात 10 बजे के बाद से करें।–

साधना दिशा पूरब रखें। साधनाकाल में तेल की दीपक अवश्य जला लें।

साधना के लिए आसन लाल या पीला लें और वस्त्र भी लाल या पीला लें। सर पर लाल या पीला कपडा या टोपी धारण किये रहें।

साधना आँखे बंद कर करनी है। साधना के बाद दीपक को बुझाएं नहीं -उसे स्वयं बुझने के लिए छोड़ दें।

यह साधना सांसारिक मामलों के लिए अमोघ है।–

यक्षिणियों के दर्शन लाभ या अन्य कोई भी अनुभवों को गुप्त रखें। सिर्फ तीन माला जप करना है और सिर्फ सफ़ेद या क्रीम कलर की संस्कारित हकीक की माला से करनी है या फिर श्वेतार्क की माला से।

साधकों को चाहिए कि कोई भी अनावश्यक न प्रश्न करते हुए किसी साधना शिविर में आकर शिक्षा-दीक्षा लें और साधना संपन्न करें।

इस साधना से सम्पूर्ण लाभ होता ही है और किसी –

भी समय यक्षिणियों के दर्शन हो सकते हैं -यह आपकी निष्ठापूर्वक की गयी साधना के ऊपर निर्भर करता है।

इसकी साधना सभी साधकों को करने का सुझाव देता हूँ जो सम्पूर्ण राजसिक -सांसारिक-भौतिक उपलब्धियां चाहते हैं।



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