बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

वरघोड़ा शोभायात्रा एवं अभिनंदन समारोह में राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके शामिल हुई

दक्षिणापथ, दुर्ग। मुमुक्षु रोशनी बाफना और पलक डांगी के दीक्षा संस्कार के पूर्व अहिवारा में आयोजित वरघोड़ा शोभायात्रा एवं अभिनंदन समारोह में राज्यपाल महामहिम सुश्री अनसुईया उइके शामिल हुई। इस अवसर पर महामहिम सुश्री उइके ने कहा समाज के प्रबुद्धजनों और संतों को नमन करती हूं, साथ ही महावीर स्वामी को नमन करते हुए उन्हें स्मरण करती हूं।
यह ऐसा समारोह है, जो परिवारजनों के लिए गर्व की अनुभूति के साथ-साथ अपने प्रियजनों से बिछडऩे का दु:ख भी होता है। आज हमारी बिटिया सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होने चली है। जब हम अपने किसी पुत्री का विवाह करते हैं, तो वह हम सबको छोड़कर दूसरे घर को चली जाती है। यह भी ऐसा ही क्षण है। मगर इसमें हमारी बिटिया घर के साथ-साथ सारे सुख को छोड़कर दीक्षा ग्रहण करेगी। आज हमारी बिटिया सर्वश्व समर्पण के साथ प्रभु पथ पर अग्रसर हो रही है। मैं बिटिया रोशनी बाफना को शुभकामनाएं भी देती हूं।
मनुष्य कई योनियों में जन्म लेता है, जिसमें से एक योनी मानव योनी होती है। इस योनी में मोक्ष को प्राप्त करना एक परम कल्याण का अवसर है। हमारे ग्रंथों के अनुसार जीवन के जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाना ही मोक्ष है। जैन धर्म के अनुसार सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र से प्राप्त किया जा सकता है। दीक्षा प्राप्त करना इस मोक्ष प्राप्ति की राह में अग्रसर होना है। आज एक तरफ पूरी दुनिया भौतिक चीजों के पीछे भाग रही है, सांसारिक सुख-सुविधाओं के प्रति गहरी आसक्ति है। ऐसे समय में इन तमाम सांसारिक चीजों को समर्पण के साथ त्याग करना अपने आप में बेहद बड़ी बात है। यह एक भावनात्मनक एवं गौरवशाली है।

दीक्षित व्यक्ति ही महावीर स्वामी जी के बताए मार्ग पर चलने में समर्थ होता है। श्री गुरुदेव की कृपा और शिष्य की श्रद्धा, इन दो पवित्र धाराओं का संगम ही दीक्षा है। यह संसार केवल मोह माया है तथा यह क्षणिक होती है। एक दिन इसे नष्ट हो जाना है। मनुष्य को मोहमाया के अंधकार से केवल ज्ञान ही बाहर निकाल सकता है। ज्ञान की प्राप्ति प्रभु के चरणों से होती है। इसलिए मनुष्य को स्वयं को सतगुरू के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए। दीक्षित होने के पश्चात् जैन साधु या साध्वी का जीवन एक कठोर तप और साधना का होता है। वे कठोर नियमों का पालन करते हैं और सदैव सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हैं। चाहे उन्हें कितनी भी तकलीफ का सामना क्यों न करना पड़ें।
यह एक सामान्य मनुष्य के लिए संभव नहीं है। वे ही व्यक्ति इस मार्ग पर चल पाते हैं, जिन्हें ईश्वर से आशीर्वाद या शक्ति प्राप्त होती है। जैन भिक्षुक का जीवन आमजनों के लिए प्रेरणादायी होता है। उन्हें उनके कर्मों के कारण ही समाज में एक सम्मान का स्थान प्राप्त होता है। जैन भिक्षुक केवल अपने समाज को ही राह नहीं दिखा रहे, उनके सद्गुणों और प्रवचनों से पूरे समाज को नई दिशा मिल रही है। आज आवश्यकता है कि हमें अपने क्षुद्र स्वार्थों का त्याग कर मानव जीवन के कल्याण की दिशा में सार्थक कार्य करें। महावीर स्वामी इस धरा पर ऐसे महापुरूष थे, जो स्वयं राज-परिवार में पैदा हुए, लेकिन उन्होंने सांसारिक मोहमाया त्याग कर सत्य, अहिंसा का मार्ग अपनाया। उनके दिए गए उपदेश पूरे समाज को मानवता का संदेश देते हैं। आज हम देखते हैं कि जैन धर्म के मतावलंबी जहां कहीं भी रहते हैं, सेवा कार्य में आगे रहते हैं और समाज के कल्याण के लिए बढ़चढ़कर कार्य करते हैं। यह महावीर स्वामी के उपदेशों तथा उनके आशीर्वाद का परिणाम हैं।

जैन संत अपने वचनों से समाज को सन्मार्ग में चलने का रास्ता दिखाते हैं। आज जब पूरा विश्व कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसी परिस्थितियों में जैन संतों का जीवन पूरे समाज के लिए प्रेरणादायी है। अंत में मैं महावीर स्वामी को पुन: नमन करती हूं। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री फगन सिंह फुलसत्ते, केंद्रीय मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह, प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, मंत्री गुरु रुद्र कुमार सहित बिलासपुर सांसद अरुण साव दुर्ग, संसद विजय बघेल, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री दयाल दास बघेल, पूर्व संसदीय सचिव लाभचंद बाफना, पूर्व विधायक सावला राम डाहरे, डोमन लाल कोरसेवाड़ा सहित अनेक जनप्रतिनिधि जैन समाज के संत-साधवी, समाज जन बड़ी संख्या में उपस्थित थे। मुमुक्षु रोशनी बाफना एवं पलक डांगी की स्वागत अभिनंदन एवं शोभायात्रा बाफना निवास से होकर दशहरा मैदान अहिवारा तक निकली। इस दौरान नगर में जगह-जगह लोगों ने भव्य स्वागत और अभिनंदन किया। शोभायात्रा में हजारों की संख्या में लोगों ने शामिल होकर मुमुक्षु बहनों का अभिनंदन किया। उल्लेखनीय है कि जैन धर्म में संसारिक जीवन का त्याग कर दीक्षा को मोक्ष का मार्ग बताया गया है। भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर दीक्षा उपरांत संयम, संयमित और वैराग्य जीवन व्यतित किया जाता है। मुमुक्षु बहन पलक डांगी राजस्थान से हैं। आज मुमुक्षु रोशनी बाफना के साथ वे अभिनंदन समारोह में साथ में थी। जैन आचार्य रामेश के सानिध्य में दोनों बहनों को दीक्षा दी जाएगी।



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